जब से नोटबंदी हुई है तब से रोज अख़बारों में कुछ नया नया सुनाने को मिल रहा है। कभी काले धन के साथ कुछ पकड़ें जाते है तो कभी कोई बैंककर्मी काले धन को सफ़ेद करने वाला “फेयर एंड लवली” बनाने के जुर्म में पकड़ा जाता है।आजकल सभी की चाहत हो चली है काले से गोर होने की,अब उस मुलाजिम की क्या ग़लती जो सबकी चाहत पूरी करने वाला बन बैठा।
दूसरी बात ये हैं की हमारें प्रधानमंत्री सांसद में नोटबंदी का जबाब न देकर जनता को जबाब देने में जुटे हुए हैं,नतीजन लगभग सभी राजनीतिक दलों को, साहब का ये रवैया अखर रहा है, और ये अखरण वाजिब भी है। अगर आप सुबह का नास्ता बुलकर दोपहर का भोजन करे तो आपके पेट को अखरेगा,सरकारी दफ्तर में आप सीधे साहब से ही मिले तो कर्मचारी को अखरेगा। अरे साहब अपने परिवार की ही ले लीजिये, अगर आपका सुपुत्र किसी गंभीर मुद्दे पर सीधे आपसे बात करे तो आपकी श्रीमतिजी को अखरेगा। जब–जब अपने अस्तित्व पर आंच आयेगी तब–तब अखरेगा। जब–जब महत्वाकांक्षीयों के महत्त्व में बट्टा लगने का आभस होगा, साहब तब–तब अखरेगा। प्राकृतिक सवभाव है ‘अखरण‘ जब–जब मानव हो तब–तब अखरेगा। अखरण बस अखरण नहीं रहता इससे पैदा होता है घृणा, उससे फिर गुस्सा, फिर वो एक भावना बन कर हमरे कोमल अधरों से आग बनकर निकलती हैं। कुछ तो ये आग निकाल सकते हैं पर कुछ मजबूरी बस इसे अपने अन्दर समाहित करते चले जाते हैं, और बाद में ज्वाला बन जाते हैं। यें आग जो विभिन्न राजनीतिक दल के सांसद उगल रहे है उनकी त्रिवता दोगुनी हैं साहब, नोटबंदी तो आग लगा ही चुकी थी अब यें ‘अखरण‘ घी का कम कर रही हैं। अगर आप इस प्रणाली को सुचारू रूप से चलने देना चाहते है तो कृपया किसी को अखरने नहीं दें। बहुत दर्द होता है ‘अखरण‘ में, और महत्वकांक्षी के रूप में अपना महत्त्व कम होते हुए देखने में। ऐसा कोई नहीं जो ‘अखरण‘ न झेला हो, चाहे वो जनता के द्वारा महत्त्व न दिया गया नेता हो या परिक्षा के परीणाम में महत्व न दिया गया ‘विद्यार्थी। अरे सरकार यहाँ तक की श्रीमती को पड़ोसन की झूठी प्रशंसा भी अखर जाती है, और पुत्र को उसके दोस्त की बड़ाई। अखर तो हमें भी जाता है,जब हम अपने प्रतिद्वंदी की गुणगान सुन ले।
अभी के नाजुक हालत में सरे राजनीतिक दल सुलग रहे है, और ये अखरण रूपी घी उन्हें विष्फोटक रूप में प्रजवाल्लित कर रहे हैं। अगर इस अखरण को नहीं रोकी गयी तो हर तरफ घृणा और क्रोध रूपी आग होगा, और सुसुप्त जव्लायें समय से पहले जागकर तभी मच देगी।