एक्स रे, मेडिकल विज्ञान की एक बहुत ही अनमोल खोज है। इसकी सहायता से शरीर के अंदर झाँका जा सकता है। टूटी हड्डियों के फ्रेक्चर के मूल स्थान को जानने में इसका प्रयोग होता है। इसके अलावा टीबी के किये जाने वाले टेस्ट में फेफड़ों का एक्स रे किया जाता है। यहां तक कि दंत चिकित्सा में भी कई बार एक्स रे का प्रयोग होता है।
इन सब फायदों के साथ ही एक्स रे के नुकसान भी बहुत हैं। बहुत सी ऐसी बाते हैं जिनको एक्स रे करवाते समय ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए आइये जानते हैं एक्स रे होता क्या है। दरअसल एक्स रे एक तरह की किरणें होती हैं जो हमारे शरीर को भेद सकती हैं। एक्स रे प्रतिबिम्ब एक्स रे मशीन के द्वारा एक ब्लैक शीट पर ले लिया जाता है।
अनावश्यक रूप से एक्स रे बिलकुल भी नहीं करवाना चाहिए। आजकल बहुत सारी प्राइवेट लैब जगह जगह खुल चुकी हैं जहां बिना डॉक्टर के लिखित सुझाव के एक्स रे करवाया जा सकता है। ऐसा करने से बचना चाहिए। बिना डॉ की सलाह लिए कभी भी एक्स रे नहीं करवाना चाहिए। एक्स रे के साथ ही सिटी स्कैन और मेमोग्राफी जैसे परिक्षणों में आयोनिज़िंग विकिरणों का प्रयोग होता है। असावधानी बरतने पर यह विकिरण घातक हो सकती है। यह विकिरण मानव शरीर के डी एन ए को नुकसान पहुँचा सकती है।
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इसलिए आइये जानते हैं वो बातें जिनका ध्यान एक्स रे करवाते समय रखना चाहिए।
लाइसेंस देख लें: सरकारी हस्पतालों में तो ठीक है पर अगर किसी बाहर की प्रयोगशाला में एक्स रे परीक्षण करवाएं तो वहां का लाइसेंस जरूर देख लें। परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद या इसकी और से अधिकृत कोई एजेंसी एक्स रे सेंटर की जांच करती है। इसके बाद यह एजेंसी उस सेंटर को लाइसेंस प्रदान करती है। हर एक एक्स रे सेंटर की दीवार पर यह लाइसेंस लगा होना जरूरी होता है। यह लाइसेंस सुनिश्चित करता है कि सम्बन्धित एक्स रे सेंटर की मशीनों के लिए क्वालिटी एश्योरेंस और विकिरण से सुरक्षा के लिए आवश्यक सर्वे किया गया है। अगर आपको सम्बन्धित प्रयोगशाला में यह लाइसेंस नहीं मिलता है तो समझ जाइये कि वह प्रयोगशाला गैरकानूनी है।
सुरक्षा उपकरण: ध्यान रखा जाना चाहिए कि शरीर के जिस भाग का एक्स रे होना है वही हिस्सा विकिरणों के सम्पर्क में आये। जैसे अगर पैर की एक ऊँगली का एक्स रे होना है तो पूरा पंजा एक्स रे के सम्पर्क में ना आये। इसके लिए लैड से बना हुआ सुरक्षा कवच बाकी के हिस्से में पहन लेना चाहिए। जहां आप एक्स रे करवा रहे हैं वहां से ऐसे सुरक्षा कवच की मांग करनी चाहिए। दीवारों या खिड़कियों पर भी इस तरह का सुरक्षा कवच लगा होना चाहिए।
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समय का रखें ध्यान: एक्स रे कक्ष में कम समय रुकना ही ठीक रहता है। अनावश्यक समय एक्स रे कक्ष में नहीं बिताना चाहिए। साथ ही ध्यान दें कि जब आपका एक्स रे हो रहा हो उस समय आपके साथ कोई छोटा बच्चा न हो।
क्या साथ न लेकर जाएँ: एक्स रे करवाते समय कोई भी धातु की चीज अंदर न लेकर जाएँ। इससे एक्स रे में त्रुटि हो सकती है। इसके अलावा मोबाइल फोन भी अंदर नहीं लेकर जाना चाहिए।
महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान: गर्भधारण की इच्छा रखने वाली महिलाओं को एक्स रे की आवश्यकता पड़ने पर मासिक धर्म के प्रथम दस दिनों में ही परीक्षण करवाना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को एक्स रे परीक्षण न करवाने की सलाह दी जाती है।
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