कई बार आप जब नेगेटिव सोच वाले लोगों से मिलते हैं तो आप कुछ अच्छा महसूस नहीं करते। यह बात अब साबित भी हो चुकी है। जर्मनी की फ्रेडरिक शिलर यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में यह सामने आया है कि जब आप ऐसे टॉक्सिक लोगों से मिलते हैं तो आपका दिमाग पूरी तरह तनाव से भर जाता है। उनकी सोच आपके दिमाग पर हावी होकर आपके दिमाग को तनावपूर्ण बना देती है। एक अन्य रिसर्च में पता चला है कि वो लोग जो अपने काम में दुसरो से अच्छे होते हैं, ऐसे नकारात्मक लोगों से मिलने वाले तनाव को मैनेज कर सकते हैं।
चलिये आपको बताते हैं वो तरीके जिनसे आप भी नकारात्मक लोगों से दूर रह सकते हैं।
कुछ लोग ऐसी आदत बना लेते हैं कि वो हमेशा ही दूसरों की बुराई करते रहते हैं या फिर किसी अन्य चीज की शिकायत करते रहते हैं। सम्भवतः उन्हें इसी चीज में आनंद भी आता है। ऐसे लोगों से दूरी बना कर रखें, चाहे वो आपके करीबी ही क्यों न हों। इस बात को इस तरह समझा जा सकता है- अगर आपका कोई मित्र स्मोकिंग करने का आदि है तो आप उसके साथ हर वक्त नहीं रह सकते। अगर आप ऐसा करेंगे तो पैसिव स्मोक आपको नुक्सान पहुंचा सकता है। यही नियम यहां लागू होता है। ऐसे लोगों का काम में फोकस भी नहीं होता। ऐसे लोगों के साथ हर वक्त रहेंगे तो आप पर बहुत ही बुरा असर होगा। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाएं।
जो लोग सफल होते हैं वो अपने काम को किसी और की प्रतिक्रिया से जज नहीं करते। वे जानते हैं कि अगर उनकी अंतरात्मा किये गए काम से सन्तुष्ट है तो उन्होंने बढ़िया काम किया है। हर काम कि प्रतिक्रिया तो होती ही है, परंतु जिस काम के लिए आपको सन्तोष है उस सन्तोष को किसी से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर कम नहीं होने देना चाहिए। इसके पीछे कारण यह है कि खुद को समझना जरूरी है। सफल लोग यह बात जानते हैं कि वो उतने बुरे नहीं हैं जितना लोग उन्हें बताते हैं। और यह बात भी उन्हें पता होती है कि वे उतने अच्छे भी नहीं है जितना लोग उनकी तारीफ़ करते हैं।
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असल में लोगों से सीमाएं तय करना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन कई बार हम सोचते हैं कि दिनभर साथ काम करने वालों के साथ सीमाएं तय करना मुश्किल काम है। पर ऐसा नहीं है। लेकिन अगर आप कोशिश करेगें तो रास्ता निकल सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि आप किसी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं तो यह जरूरी नहीं की आपके साथ काम कर रहे लोगों से आप मित्रता करें, उनसे दोस्तों जैसे सम्बन्ध बना लिए जाएँ जिससे उन्हें किसी भी बात को बोलने की आजादी हो। हाँ ये हो सकता है कि आप मित्र की तरह पेश आएं परन्तु मित्रता करने और मित्र की तरह पेश आने में बहुत फर्क होता है। सीधे सीधे समझा जाये तो अपने काम से मतलब रखें। कोशिश करें कि आपका साथ बस काम तक का ही हो। ओफिस में साथ में लंच करना या साथ में ब्रेक लेना लोगों में जुड़ाव बढाता है। कोशिश करें कि अगर साथ काम करने वाले नेगेटिव ख्यालों के हैं तो अपना खाली टाइम अकेले में ही बिताएं। आप ब्रेक के वक्त गाने सुन सकते हैं जिससे आपका मन भी तनावमुक्त होगा। या फिर आप कुछ देर टहल भी सकते हैं।