कभी कभी बहुत सर्दी पड़ने की स्थिति में कुछ लोगों को फ्रॉस्टबाइट की समस्या हो जाती है। यह एक प्रकार की त्वचा में होने वाली इंजरी है। ऐसा त्वचा और अंदरूनी टीशूज के फ्रीज हो जाने के कारण होता है। इसमें त्वचा बेहद ठंडी और लाल पड़ने लगती है।
आइये जानते हैं इसके बारे में।
क्या होती है फ्रॉस्टबाइट की समस्या:
यह रोग त्वचा को प्रभावित करता है। यह समस्या अक्सर उँगलियों, पैर के अंगूठों, नाक, कान, गाल और ठोडी पर हो सकती है। सर्दियों या ठंडी हवाओं के मौसम में अगर त्वचा को ढक कर ना रखें तो यह समस्या हो सकती है। कभी कभी कुछ लोगों में ग्लव्स आदि पहनने के बाद भी हाथों की उँगलियों में इस समस्या के लक्षण देखे जा सकते हैं। अगर समस्या ज्यादा बढ़ चुकी है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए वरना इससे त्वचा, टीशूज, मसल्स और हड्डियों को नुकसान पहुँच सकता है। समस्या अधिक बढ़ने पर इन्फ़ेक्सन होने के साथ ही नब्ज भी डेमेज हो सकते हैं।
फ्रॉस्टबाइट के कारण:
त्वचा और उसके नीचे पाये जाने वाले टीशूज के जम जाने से यह समस्या उत्पन्न होती है। किसी ठन्डे मेटेरियल जैसे कि बर्फ, फ्रीजिंग मेटल्स आदि के सीधे सम्पर्क में आने से भी यह समस्या हो सकती है। त्वचा की अपनी ठण्ड को सहन करने की एक शक्ति होती है। अगर ठण्ड ज्यादा हो तो त्वचा और उसके नीचे के टीशूज गलने लगते हैं। कई लोगों में यह लिमिट बहुत कम होती है। जिसकी वजह से उन लोगों को यह समस्या दूसरों के मुकाबले कुछ ज्यादा होती है। शिशु और बूढ़े लोग इससे अधिक परेशान होते हैं। सर्दी में अधिक समय तक त्वचा के पानी के सम्पर्क में आने पर भी यह समस्या हो सकती है। सर्दी में गीलापन ज्यादा देर तक रहता है क्योंकि सम्बन्धित स्थान जल्दी सूख नहीं पाता और ज्यादा देर तक ठंडा रहता है, जिससे फ्रॉस्टबाइट होने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके उपचार:
इस समस्या के उत्पन्न होने पर प्रभावित व्यक्ति को किसी गर्म जगह पर ले जाएं और उसके शरीर पर अगर कोई गीला कपड़ा है तो उसको तुरंत वहां से हटा दें। अगर पैरों में फ्रॉस्टबाइट की समस्या है, तो जब तक जरूरी ना हो चलने से बचना चाहिए। पैरों में जुराब या मोज़े पहन के रखें। त्वचा को गर्म करने के तुरंत बाद किसी ठंडी जगह पर न लेकर जाएँ। उदाहरण के तौर पर सर्दियों में सुबह उठने के बाद बिस्तर से तुरन्त नहीं निकलना चाहिये। इससे त्वचा का तापमान एकदम से बदल जाता है जिससे फ्रॉस्टबाइट होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रभावित संक्रमित जगह को हल्के गुनगुने पानी से धोते रहना चाहिये जब तक की त्वचा गर्म नहीं हो जाती। अगर आसपास पानी न हो तो सांस या फिर शरीर की गर्मी से उस भाग को गर्म करने की कोशिश करें। आग, हीटिंग पैड या फिर रेडिएटर से गर्म करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। संक्रमित जगह पर अगर फफोले हो गए हैं तो उनको फोड़ने से बचना चाहिए। इसके अलावा संक्रमित क्षेत्र को स्क्रब करने से बचना चाहिए। संक्रमित त्वचा को ठन्डे पानी के सम्पर्क में लाने से बचना चाहिए।