ख़ता ये थी कि हमने साथ चलने की क़सम खाई
ज़मीं अपनी नहीं समझे,बता फिर आसमाँ कैसा मिला था एक मौका ये समझने का ,जहाँ कैसा ख़ता ये थी कि हमने साथ चलने की क़सम खाई सज़ा के तौर पर…
ज़मीं अपनी नहीं समझे,बता फिर आसमाँ कैसा मिला था एक मौका ये समझने का ,जहाँ कैसा ख़ता ये थी कि हमने साथ चलने की क़सम खाई सज़ा के तौर पर…
ज़िंदा रहने की ये तरकीब निकाली हमने बात जो ख़ुद से बिगाड़ी थी बना ली हमने देख ले हम तेरे ज़िन्दान से आज़ाद हुए इश्क़ ज़ंजीर तेरी तोड़ ही डाली…
तुम्हारा प्यार पाने को फिर आये हैं जन्म ले कर तुम्हीं ने तो बुलाया है हमें फिर से कसम दे कर बुलायेगा हमें जब जब तू हम आयेगे तब यूँ…