कश्मीर भारत के लिए हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा हैं और आगे भी रहेगा जब तक हम इसके मूल कारण को जानने की कोशिस न करें | देशभक्ति शर्तो से बांध कर नहीं होती ये तो भावना है और इसका जुड़ाव दिल से हैं| 370 धरा किसी को कुछ देर के लिए या कुछ लोगों को वफादार बना सकती हैं देशभक्त नहीं। जहाँ तक मेरा मानना हैं और अभी तक के कश्मीर के हालात कुछ ऐसा ही संकेत दे रहे है कि वो हमें कभी अपना मने ही नहीं, और नहीं भारत का हिस्सा बनना चाहे। इसका पुख्ता प्रमाण है 370 जो उनके मजबूरियों के समझौता को दिखता हैं।
हम लोकतान्त्रिक देश के वासी हैं और यहाँ हर हर चुनाव में लगभग 50% जनता के इच्छाओं का दामन होता हैं और भारत सरकार को भी इस बात का पूरा हक हैं कि अपना अधिकार स्थापित करने के लिए वो 50% जनता पे दमनकारी नीति अपना सकती हैं और बिना किसी शर्त के कश्मीर को अन्य राज्यों की तरह अपना अभिन्न अंग बना सकती है ,क्योंकि ये हर पांच साल पर आम हैं। लेकिन ये बार बार के छदम युद्ध काफी कष्टदायी हैं। अगर ये नहीं हो सकता तो फिर हमें कश्मीर को आजाद करने की तरफ पहल उठाना चाहिए । हाँ वो अलग बात हैं उस कश्मीर पे पास जितनी अच्छी सुंदरता उतनी ही बुरी किस्मत, काशमीर कभी आजाद हो ही नहीं सकेगा क्योंकि उसके पास बस दो ही रास्ते हैं या तो भारत नहीं तो पाकिस्तान और ये कश्मीर के बुद्धिजीवियों को अच्छी तरह पता है की वो किसके साथ ज्यादा महफूज हैं, मैं भटके हुए कश्मीरियों से अपने भले बुरे के बारे में सोचने की उम्मीद भी नहीं रखता हूँ ।