बिहार में शराब बंदी को 4 महिना हो गये है. हमारे मुख्यमंत्री नितीश जी द्वारा लिया गया यह निर्णय(शराब बंदी) काफी सरह्निये है. अब तो नया विधेयक पारित भी हो गया है, जिसके अंतर्गत और भी सख्त नियम बनाये गया है. अगर आपके घर में शराब पकडे गए तो घर के मुखिया को जेल हो सकती है. किसी ग़ाव में शराब पकड़ा गया तो वहा के थानेदार या ग़ाव के मुखिया पे करवाई की जा सकती है. यकिन मानिये नितीश जी की जितनी भी तारीफ किया जाय कम ही है.
मनानिये मुख्यमंत्री जी मै तो आपके बनाये गय सरे नियम से सहमत हु. घर में पकडे गय तो घर के मुखिया जिमेदार, ग़ाव में पकडे गय तो थानेदार या मुखिया जिमेवार, तो क्यु न राज्य में मिले तो मुख्यमंत्री जिमेवार???
मेरे घर में सभी लोग शाकाहारी है, मेरे घर में मांस लाना किसी अपराध से कम नही. बिहार में ऐसे लाखों घर है जहा रसोई घर तो दूर घर में मांस लाना गुनाह से कम नही. इतना सीमा होने के बावजूद जिसे मांस खाना होता है वो घर से बहार तो खाते ही है और हम उन्हें रोक नही सकते।क्योकि खाना–पीना किसी का मूल्य अधिकार है.
शराब बेचना गुनाह हो सकता है, पीना नही.
पिछले कुछ वर्सो में लाखों लोगो ने शराब से जुडी व्यापार में आये. आपके एक निर्णय से लाखों लोग वेरोजगार हो गय. क्या आपने उनके लिए कोई सकरात्मक कदम उठाया???????
मै पूछता हु शराब मुक्त बिहार क्यु? नासा मुक्त बिहार क्यु नही? शराब को जितना सख्ती से ले रहे उतना ही और नासिले पदार्थ क्यु नही. सिगरेट जो की सार्वजनिक रूप से पीना गुनाह है, लोग सरेआम पीते है. सिगरेट सिर्फ खुद को ही नही बल्कि सामने वाले को भी नुकसान करता है और साथ साथ हवा को भी दुषित करता है. इसके साथ सख्ती क्यु नही. सिर्फ सिगरेट ही नही बल्कि गुटखा , गाजा, भांग ऐसे और भी सभी नासिले पदार्थ के साथ सख्ती से पेश आना चाहिये.
मुख्यमंत्री जी सिर्फ शराब ही नही सरे नासिले पदार्थ जिसकी सेवन करना सामाजिक बुराई है उसके लिए भी कानून बनाइये और सभी के साथ सख्ती से पेस आइये तभी आप तारीफ के पात्र बनेंगे.