हर दूसरे पागधारी पान चबाने वाले बकलोल को चाहिए एगो “राज्य” !
बाँकी तुम्हारा #चीनी-मिल, #पेपर मिल, #DMCH, #WIT, #DCE, #LNMU, #मैथिली, ##किसान, और बाँकी सारे #मुद्दा जाए कमला, कोशी के किछेरी मे !
दिन भर facebook पे मिथिला-मिथिला चिल्लाने वालों मे से अगर एक को भी ये पता हो की मिथिला का नाम अंतिम जनक “विदेह” के परदादा ” महाराज मिथिल ” के नाम पे पड़ा था तो यूं पलायन पीड़ित गांवों के तास खेलने को मजबूर जनता से दूर नही हुए होते तुम !
कुकुरमुत्ते की तरह जनाधार-हीन संस्था उग आए हैं ,और पाग-दोपता लगाए उनके जमीन विहीन नेता सिर्फ मुद्दा-शून्य बात करते हैं !
एक बार मेरे गाँव मे जाके हल जोतते हुए मजदूर ” जोगिया ” से पूछना की ” क्या उसको मिथिला राज्य चाहिए ??” अगर उसके चेहरे पे “तुम्हारी बात समझने को थोड़ा सा भी संकेत हो जाए, फिर बताना ! मैं जॉब छोर के चलूँगा तुम्हारेपीछे बैनर लेके नारा लगाते हुए ! आज तक जाति अहं से तो उठ नही पाए हो !
एक अदद संस्था #एमएसयू काम कर रही है मुद्दों पे और सब मिल के लगे हुए हैं पाँव खिचने मे ! ये जो कुछ लड़के हैं न जो बेपरवाही मे अपना काम कर रहे हैं, यही है वो तकदीर जो मिथिला को मिलना चाहिए, आप नही ! आप तो चुनते आए हैं हमेशा से कीर्ति, हुकुमदेव, सरावगी, फातमी, नीतीश आ शकील ! इनमे से एक ने भी मिथिला का सिवाय इस्तेमाल के अगर कुछ दिया हो तो बताइएगा !
याद रखिए महाशय ये माछ, मखान आ पान कचरने से नही मिलेगा मिथिला राज्य ! मुद्दों पे आवाज़ लगाईए मर्दे, लोक जोड़िए, उनकी सुनिए और उनकी आवाज़ मे हांक लगाईए फिर देखिये आपको आंदोलन मे क्या जनसैलाब उमड़ता है ! आ सो जो अगर नही होता है तो फिर करते रहिए विद्या-पति आ मिथिला-विभूति समारोह आ सुनते रहिए चापलूसों की आह-वाह, जो की आप वर्षों से करते आ रहे हैं !
व्यक्तिगत मत लीजिएगा, वैसे मैं व्यक्तिगत मिथिला राज्य के समर्थन मे हूँ, लेकिन जब तक आप उस आखिरी ” जोगिया ” तक नही जाते, सब बकलोली है ! आलोचना नही पचा पाने के कारण मुझे तो आप गरिया सकते हैं, लेकिन अगर अब भी नही संभले तो कमला-कोशी आपको बहुत गरियाएगा कहे की बहुत मुद्दा आप वहीं बहा आए हैं !
जय जानकी !
अधिकतर ऐसा होता है की अलग राज्य की मांग उठाकर लोग अपनी राजनीति चमकाते हैं और असली मुद्दे को गौण कर देते हैं। हाँ, कभी-कभी अलग प्रान्त की माँग उचित भी लगता है।